Protected Cultivation of Polyhouse Vegetables

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पाठ्यक्रम विवरण:

विश्वविद्यालय संरक्षित खेती पर प्रशिक्षण, कम लागत वाली संरक्षित खेती पर क्षेत्र दिवस, और युवाओं/प्रगतिशील किसानों/युवा वैज्ञानिको को कम लागत वाली संरक्षित खेती तकनीक अपनाने के लिए जागरूक करता है। संक्षेप में हम कह सकते हैं कि संरक्षित खेती, एक पूरी तरह से अनुकूलित, कुशल और लंबे समय तक चलने वाली प्रणाली है जो बेहतर पैदावार सुनिश्चित करती है और साल दर साल इनपुट संसाधनों (पानी, श्रम और उर्वरक लागत) को बचाती है जो सामाजिक-आर्थिक आजीविका के उत्थान में मदद करती है। कृषक समुदाय के लिए यह एक आकर्षक उद्यम है, और इसके संचालन में कौशल शामिल होने के कारण यह युवाओं को कृषि की ओर आकर्षित कर रहा है। इस पाठ्यक्रम को उन युवाओं/प्रगतिशील किसानों/युवा शोधकर्ताओं के ज्ञान और कौशल को उन्नत करने के लिए डिजाइन और संरचित किया गया है जो भविष्य के लिए इस विशेष क्षेत्र (संरक्षित खेती) में काम कर रहे हैं या अपने प्रयासों को समर्पित करने का इरादा रखते हैं और बागवानी के इस विशेष क्षेत्र को और अधिक लाभकारी बना रहे हैं ।

पाठ्यक्रम के लाभ

1:  युवा/प्रगतिशील किसान/युवा शोधकर्ता, उच्च गुणवत्ता वाली सब्जियों का उत्पादन करने में सक्षम होंगे और एक वर्ष में भूमि के एक ही टुकड़े पर कई फसलें उगाने में सक्षम होंगे ।

2:  यह बे-मौसमी (ऑफ सीजन) में उपज उगाकर उनकी बेहतर कीमत पाने में सक्षम बनता है ।

3:  यह विभिन्न सब्जियों की फसलों की नर्सरी, आसानी से उगाने, संकर बीज उत्पादन में सहायता करता है और उनकी सुरक्षा भी करता है ।

4:  युवा/प्रगतिशील किसान/युवा शोधकर्ता, निवेशित प्रति यूनिट संसाधन पर बेहतर गुणवत्ता वाले रिटर्न के साथ अपनी उपज उत्पादकता बढ़ने में सक्षम होंगे ।

5:  गैर-उत्पादित क्षेत्रों में सब्जियों की खेती के लिए वैकल्पिक उद्यम प्रदान करता है ।

6:  किसान अपनी उपज को हवा, बारिश, बर्फ, पक्षियों, ओलों आदि से कैसे बचाया जाए इसमें मदद करता है ।

7:  युवा/प्रगतिशील किसान, उन्नत कृषि तकनीक (हाइड्रोपोनिक्स, एरोपोनिक्स, सब्जियों की ऊर्ध्वाधर/लम्बवत खेती) सीखने में सक्षम हो सकते हैं ।

8:  जहरीले कीटनाशकों के कम उपयोग के कारण पोषण से भरपूर और स्वस्थ सब्जियों के उत्पादन की मांग को कैसे पूरा करना है उसको सीखने में मदद करता है ।

9:  नमी संरक्षण के कारण जल उपयोग दक्षता को समझें में मदद करता है ।

10:  रोग और कीटों को पहचानना और कीटों और बीमारियों पर प्रभावी नियंत्रण करने में सक्षम बनता है और महंगी सब्जियों के रोगग्रस्त और कीड़ों से मुक्त बीज का उत्पादन करना आसान बनाना सिखाता है ।

11:  विभिन्न बागवानी फसलों की विशिष्ट रोपण सामग्री का उत्पादन करने में सक्षम बनता है ।

12:  श्रम-गहन प्रौद्योगिकी और शिक्षित युवाओं के लिए स्रोत पर श्रम-रोजगार उत्पन्न करता है ।

13:  ग्राफ्टेड पौधों और सूक्ष्म प्रचारित पौधों के रखरखाव के बारे में तथा उसका स्टॉक रजिस्टर में कैसे प्रबंधन किया जय उसमे मदद करता है ।

14:  गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के लिए विभिन्न सब्जी फसलों में प्रयोग हेतु संरक्षित उपकरणों एवं तकनीकों के बारे में आसानी से समझ सकेंगे ।

15:  विभिन्न देशों के निर्यात के लिए सब्जी के उत्पादन के लिए संरक्षित खेती के सिद्धांतों और अवधारणाओं को समझने में मदद करता है ।

उद्देश्य:

1:  छात्रों को स्वरोजगार के माध्यम से सम्मानजनक कैरियर के बारे में जानने में सक्षम बनाना ।

2:  कार्यकारी रोजगार, उच्च तकनीक खेती और विपणन जैसे सेवा के क्षेत्र में उद्यमिता पेशेवर बनाना ।

3:  कृषि के क्षेत्र में आंतरिक जुड़ाव की क्षमता विकसित करना ।

4:  खेती व्यवसाय में योग्यताओं का विकास करना ।

5:  संरक्षित खेती प्रौद्योगिकी, हाइड्रोपोनिक्स, पॉलीहाउस के निर्माण के प्रबंधन के लिए कुशल लोगों का विकास करना ।

6:  कृषि के क्षेत्र में उच्च अध्ययन के लिए आधार विकसित करना ।

7:  भविष्य के लिए प्रक्षिक्षित और कुशल उद्योग पेशेवरों तैयार करना ।

8:  संरक्षित खेती की क्रिया कलापो पर अतिरिक्त जोर देते हुए व्यापक ज्ञान प्रदान करना ।

पाठ्यक्रम के अपेक्षित परिणाम:

1:  युवाओ/स्थानीय किसानों/युवा वैगनिको को शिमला मिर्च (जैसे-हरा, पीला और लाल), असीमित बढ़ने वाले टमाटर और खीरे की उच्च मूल्य वाली सब्जियों की उच्च उपज वाली निर्यात योग्य किस्म के बारे में जानकारी प्राप्त होगी, जिन्हें आसानी से काम कीमत बाले संरक्षित संरचना में उगाया जा सकता है ।

2:  उत्पादकों को बेहतर रिटर्न दिलाने के लिए ऑफ-सीजन/उच्च मूल्य वाली सब्जी फसलों का उत्पादन ।

3:  सब्जियों की खेती के लिए उन स्थानों के लिए उद्यम बनाना जिन क्षेत्रों में खुली परिस्थितियों में यह संभव नहीं है ।

4:  ग्रामीण क्षेत्रों के शिक्षित युवाओं के लिए स्व-रोजगार ।

5:  विभिन्न देशों में अपनी उपज का निर्यात करके अपनी सामाजिक आर्थिक स्थिति में सुधार करेंगे ।

6:  संरक्षित खेती के क्षेत्रों का विस्तार होगा और गुणवत्तापूर्ण सब्जी का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाएंगे ।

7:  विपणन और निर्यात शृंखला को अच्छी तरह से परिभाषित किया जाएगा, जिससे क्षेत्र के किसानों को अपनी उपज को दूरस्थ बाजार भेजेंगे ।

8:  किसानों की आय दोगुनी करने का अधिक अवसर ।

पाठ्यक्रम की रूपरेखा:

साप्ताहिक:  2 व्याख्यान कक्षाएं और 2 प्रायौगिक कक्षाएं।
पाठ्यक्रम अवधि:   3 महीने

व्याख्यान

ग्रीन हाउस का सिद्धांत, परिचय, परिभाषा, अवधारणा, महत्व और दायरा। ग्रीन हाउस प्रौद्योगिकी, ग्रीन हाउस विश्व परिदृश्य और भारत में स्थिति। संचालन, रखरखाव और प्रबंधन, प्रकाश, तापमान, आर्द्रता, कीट और रोग नियंत्रण। कृषि में ग्रीन हाउस के लाभ. ग्रीन हाउस की संरचना और निर्माण: स्थान, विभिन्न प्रकार के ग्रीन हाउस का ढांचा, कवरिंग सामग्री। विशिष्ट ग्लास हाउस/पॉली हाउस/नेट हाउस का निर्माण/पाइप फ़्रेमयुक्त ग्रीन हाउस का निर्माण। फर्श और लेआउट का निर्माण, कम लागत वाले ग्रीन हाउस संरचना का डिजाइन और विकास, स्वचालित ग्रीन हाउस, माइक्रो नियंत्रक, अपशिष्ट जल पुनर्चक्रण, ग्रीन हाउस मीडिया और रोपण के लिए मिट्टी की पोषण तैयारी, पौधों का पोषण, उर्वरक पोषण की कमी और विषाक्तता, सिंचाई के तरीके : सिंचाई, पानी देने के नियम, हाथ से पानी देना, ओवर हेड स्प्रिंकलर, बूम सिंचाई प्रणाली। ड्रिप सिंचाई, सूक्ष्म सिंचाई, फर्टिगेशन, फर्टिगेशन के माध्यम से पोषक तत्वों का प्रबंधन। आर्द्रीकरण उन्नत संरक्षित कृषि प्रणाली जैसे प्लास्टिक मल्च और पंक्ति कवर। उच्च मूल्य वाली बागवानी फसलों जैसे टमाटर, शिमला मिर्च, ककड़ी, चेरी टमाटर आदि की खेती। हाइड्रोपोनिक्स: मिट्टी कम खेती के तरीके, मीडिया और पोषक तत्व, हाइड्रोपोनिक्स के फायदे और नुकसान, कृषि में हाइड्रोपोनिक्स का अनुप्रयोग

प्रायौगिक

मधुमक्खी पालन की विभिन्न प्रजातियों की पहचान, मधुमक्खी पालन स्थान का चयन, मधुमक्खी वनस्पति, मधुमक्खी कॉलोनी का निरीक्षण, मधुमक्खियों को खाना, मधुमक्खी विषाक्तता, झुंड को नियंत्रित करना, छत्ते का निरीक्षण, लूटमार रोकथाम और मौसमी प्रबंधन, मधुमक्खियों के कीड़ों और बीमारियों की पहचान एवं निदान, जैसे-ब्रूड रोग, प्रोटोजोआ रोग, वायरल रोग, फंगल इत्यादि।मधुमक्खी पालन के उपकरण एवं उनके उपयोग, कालोनियों का स्थानांतरण, कालोनियों का गुणन, मधुमक्खी कालोनियों को एकजुट करना, झुंड का संग्रह और मधुमक्खी के छत्ते में स्थानांतरण, रानी उत्पादन तकनीक, शहद संचयन तकनीक, शहद का निष्कर्षण, निष्कर्षण मधुमक्खी पराग, मधुमक्खी मोम का निष्कर्षण और मधुमक्खी प्रोपोलिस का निष्कर्षण। मधुमक्खी उत्पादों के प्रसंस्करण के तरीके, मधुमक्खी उत्पादों से तैयार विभिन्न उप-उत्पादों की तैयारी।

पाठ्यक्रम निदेशक

नामपद का नामईमेलपता
डॉ. राजेश कुमार सिंहप्राध्यापक (उद्यान), सब्जी विज्ञान विभागrksbuat@gmail.comउद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय, रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी

पाठ्यक्रम समन्वयक

नामपद का नामईमेलपता
डॉ. ब्रिज बिहारी शर्मासह-प्राध्यापक (सब्जी विज्ञानं), सब्जी विज्ञान विभागbrij9851@gmail.comउद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय, रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी
डॉ. अर्जुन लाल ओलासहायक प्राध्यापक (सब्जी विज्ञानं), सब्जी विज्ञान विभागarjunola11@gmail.comउद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय, रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी

Page last updated on October 29th, 2024 at 07:55 pm

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